नवकार मंत्र जपना और लिखना दोनों अपने आप में शुभ -मुनि प्रशांत
सिलचर (बर्धमान जैन): मुनिश्री प्रशांत कुमारजी मुनिश्री कुमुद कुमारजी के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा हुनर अपना अपना प्रतियोगिता आयोजित हुई। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – नवकार मंत्र आधारित कलात्मक प्रतियोगिता हमारे विकास का माध्यम बनी है। बिना एकाग्रता और कलात्मकता से व्यक्ति इस प्रकार की पेंटिंग बना नहीं सकता। नवकार महामंत्र जपना और लिखना दोनों अपने आप में शुभ है।कला की अभिव्यक्ति है।कला हर व्यक्ति में होती है। आवश्यकता है कि व्यक्ति अपनी कला को पहचान कर उसे निखारने का प्रयास करें।प्रतिदिन हम नवकार मंत्र लिखें जिससे कर्म की निर्जरा होती है।माला में मन नहीं लगता है तो प्रतिदिन लिखने के अभ्यास से अपने आप एकाग्रता बढ़ती है।सभी प्रतिभागियों ने अपने हुनर का परिचय दिया।सभी को साधुवाद।
मुनिश्री कुमुद कुमारजी ने कहा – दुनिया की हर वस्तु एवं व्यक्ति अपने आप में उपयोगी होता है।अपनी अपनी योग्यता, क्षमता को बढ़ाएं।कला का विकास करें। नवकार मंत्र को अपना साथी बनाएं। प्रतियोगियों ने अपनी कला को प्रदर्शित किया है, विविध रूप में नवकार मंत्र को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है।सभी का परिश्रम प्रशंसनीय है।
श्रीमती सपना मालू ने बताया – प्रतियोगिता जुनियर और सिनियर दो ग्रुप में आयोजित हुई।सभी विजेताओं को तेरापंथ महिला मंडल द्वारा पुरस्कृत किया गया। महिला मंडल मंत्री श्रीमती रेखा सेठिया ने कार्यक्रम का संचालन किया।





